19 मई , 2021
चार साल पहले कुछ बतियाने की, कुछ कहने की इच्छा ही खत्म हो गई थी . आज मेरी दो बहनों, सुलभा और विजया के आग्रह पर अब फिर लिखने की ठानी है. श्री धरमवीर भारती से मैं जवानी में काफी प्रभावित रहा हूं. वह , निराला, मुंशी प्रेमचंद, सुमित्रा नंदन पंत, नीरज , हरिवंश राय बच्चन, काकाहाथरसी, बालकवि बैरागी, दुष्यंतकुमार , अशोक चक्रधर आदि कई हिंदी साहित्य दीप स्थंब मेरे प्रेरणा के स्तोत्र रहे हैं.
भारती जी के " बिंदु बिंदु विचार " की तर्ज पर मैं इसी शिर्षक का प्रयोग कर अपने विचार , कुछ भूली बिसरी यादें आप सब के समक्ष रखूंगा.
आशा हे आप को भी आनंद मिलेगा