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Thursday, November 13, 2008

मेरा भी टी वी पर इंटरव्यू - एक ख्वाब

टी वी पर अरुनव - सौरव गांगुली का इंटरव्यू देखते देखते सो गया। फिर ख्वाब देखा । अरुनव गोस्वामी ने मेरा इंटरव्यू लिया । कुछ इस तरह रहा : प्र : तीन दशकों से ज्यादा काम करने के बाद कुछ थकान ?? ऊ : बिल्कुल भी नही । प्र : कैसा रहा आप का सफर ?? ऊ : काफ़ी उतार चढाव देखे । प्र : कुछ ख़ास अनुभव ?? ऊ : नौकरी में आप नौकर ही रहते हैं , वही रहिये , मालिकों की तरह मत सोचिये । प्र : पर कहा जाता है की यदि आप मालिकों की तरह सोचेंगे , काम करेंगे तो ही शत प्रतिशत या ज्यादा योगदान कर पाएंगे । आप को क्या लगता है ?? ऊ : आप को वही और उतना ही करना चाहिए , जिसकी आप को तनख्वाह मिलती है । प्र : ऐसा नकारात्मक रवैया ?? ऊ : ज्यादा करके कोई तमगे भी तो नही मिले मुझे ?? प्र : कोई कटु अनुभव ?? ऊ : बहुत । हर नौकरी के बाद यही लगा कि मुझे इस्तमाल किया गया । प्र : कोई सीख ?? ऊ : हाँ । जिंदगी भर बेवकूफी की , अब तो सुधरो , गानू । प्र : सब से सुनहरे क्षण ?? ऊ : रेनबेक्सी और बी ई का सफर । प्र : कुछ विस्तार से बताएँगे ?? ऊ : रेनबेक्सी ने मुझे एक पहचान दी और बी ई ने उसे मजबूती दी । प्र : छोड़ते वक्त कैसा लगता है ?? ऊ : बहुत शांत । प्र : आगे क्या ?? ऊ : मंजिले औ र्भी हैं । प्र : मसलन ?? ऊ : परिवार के लिए क्वालिटी टाइम , वाचन, भारत दर्शन, चित्र कला , लेखन और जीविका के लिए थोड़ा सा काम और शिक्षण । प्र : लेखन ?? ऊ : प्रोजक्ट मैनेजमेंट पर लिखना है । प्र : शिक्षण ?? ऊ : हाँ । बहुत शौक है पढाने का । अपने अनुभव बाटने हैं । प्र: रवि के हाथों में बागडोर देख कैसा लगा । ऊ : बी ई प्रोजेक्ट्स का भविष्य सुरक्षित है । अरुनव ने अपना इंटरव्यू इधर ही खत्म किया । और एक आखिरी सवाल किया । प्र : इस तस्वीर में आप को आप के साथी कंधे पर उठाकर ले जा रहे हैं । ऊ : अरे क्यों मजाक कर रहे हो भाई। वह तो गांगुली है । देखो । यह कह कर मैंने अरुनव का मुह टी वी की तरफ फेरने की कोशिश की । इसी समय मेरी पलक खुली । पता लगा ये तो एक ख्वाब था।

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