हाल ही के चुनावी नतीजों के बाद कॉँग्रेस में उथल पुथल चालू हुई ! पर परिमाणों में कोई फर्क नज़र नहीं आता ! फिर वोही ढाक के तीन पात ! खुर्शीद भाई कहते हैं कि सोनिया भारत कि माँ है , भाईजान तुम्हारी होगी पर देश भर की क्यों बना डाला ? मणिशंकर जी ने भी अपनी चिर परिचित चिड़चिड़े अंदाज़ में प्रधान मंत्री पद के लिए सोनिया के नाम पर महर लगा दी ! सिब्बल जी भी भला क्यों पीछे रहते ? उन्होंने भी सोनिया कि दावेदारी कि हिमायत की !
और हाँ ! दिग्गू भाई तो हमेशा से ही बड़बोले रहे हैं , वो क्यों भला अपनी इन आदतों से बाज आते ? उन्होंने कहा - मैं तो पहले ही से कहता आ रहा हूँ कि सोनिया का कोई विकल्प नहीं है, पर यदि है तो वह सिर्फ राहुल बाबा ही हैं !
अब सब कॉंग्रेसी बयानबाजी में लगे हैं - कहते हैं कि सोनिया को फिर से बागडौर संभालनी चाहिए ! अरे भाई छोड़ी कब थी कि फिर से सँभालने कि नौबत आन पड़ी ?
कितने भोलेपन से ये सब लोग इस तरह कहते हैं मानो जनता बेवकूफ है , सोई है , नादान है , कुछ जानती नहीं है !
यह सब सौ चूहे खा कर हज जाने जैसा ही है ! है ना ?
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