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Wednesday, January 1, 2014

वेलकम २०१४



वेलकम २०१४ 

कल नये साल के सफर पर निकलना है ! ज्यादा बोझ ढोना नही है, यह तय है ! क्या साथ लें, क्या ना लें, इस पर हमेशा की तरह उलझन थी, बैचेनी थी ! कई चीजें ऐसी होती हैं जो आप साथ नहीं लेना चाहते पर वे आप का पीछा नहीं छोड़ती ! और कई ऐसी होती हैं जिन्हे आप साथ लेजाना चाहते हैं पर उनको भी बोझ होता है ! ऐसे में मैंने निर्णय लिया की बोझ हल्का करना है तो उन्हें पीछे छोड़ जाना ही बेहतर है !


क्यों ले चलें ईर्षा, नाराज़ी, मनमुटाव, झगडे, गलतफहमियां, दुर्भावनाएं, विश्वासघात इत्यादि का बोझ ,  ( क्योंकि इन सब का बोझ काफी होता ) ? क्यों न सिर्फ उनमे छुपी सीख को ले चलें ? मुझे लगा सीख सिर्फ एक ही सटीक रामबाण की तरह है, और वह है - भूलजाना ! और फिर नयी शुरुवात करना ! सच ही में क्षमा में , भूलजाने में छुपी शक्ति का अंदाज लगाना मुश्किल है, पर उस से कोई इंकार नहीं कर सकता ! क्षमा करने लायक मेरी क्षमता नहीं है, क्योंकि इन चोटों के जख्म मिटाये मिटते नहीं हैं ! मैं कोई राम का अवतार नहीं हूँ ! पर भूल कर आगे बढ़ना थोडा आसान है ! इस लिए मैंने उस  सीख को साथ ले चलना उचित समझा ! इस आते वर्ष में, साल भर भी यदि मैं उस  बोझ को मन और खंदों से परे रख पाया तो भी वह अपनेआप में एक उपलब्धी होगी ! अगले वर्ष फिर सोचेंगे यारों ! सीढ़ी - दर - सीढ़ी ही मंज़िल तय करनी चाहिए न भाई ?



और सीख लेनी ही है तो उनसे मिली शिक्षा, अनुभव और समझ को क्यों न लिया जाए ? इनको साथ लेना ही है क्योंकि ये उम्र भर काम आएँगी !



मैंने भी कई लोगों को इसी तरह कि चोट पहुंचायी होगी ! मैं सिर्फ प्रार्थना ही कर सकता हूँ कि भगवान् उन्हें भी ऐसी सद्बुद्धि दे !



दोस्ती, बड़ों - बूढ़ों के आशीर्वाद, प्रेम , श्रम - कष्ट करने की ताकत, स्वास्थ्य, जिद्द, वचनबद्धता इत्यादि तो साथ चलने को जैसे तत्पर ही रहते हैं. पर फिर वाही बोझ का ख़याल आता है ! इसलिए दृढ़ निस्चय, दोस्ती और आशीर्वाद साथ लेने का विचार किया है, बाकि तो दृढ़ निस्चय के सहारे पा लूंगा, यह विश्वास है !


दृढ़ निस्चय के सहारे मुझे अपनी उमीदों पर खरा उतरने का विश्वास है ! उसे भी सीढ़ी - दर - सीढ़ी साथ रखूँगा और देखूंगा कि मेरे मूल्यों में, आस्थाओं में कोई गिरावट तो नहीं आयी ! यदि नहीं तो इरादे और मजबूत होंगे और यदि गिरावट आयी तो इरादो को मजबूत करूँगा !

इन चीजो के सहारे ( सीख , आशीर्वाद , दोस्ती और दृढ़ निस्चय ) एक नयी उम्मीद ले कर अगला पड़ाव तय करूँगा ! नए सपनों को साकार करने का भी इरादा है! आप मुझे प्रोत्साहन देंगे ना ?

चलो फिर थोड़ी सी मौज मस्ती करने में हर्ज नहीं है ! इस उम्र में यारों ( दोनों लिंगों के ) के साथ , दू - चार चाकी पर बाहर तो नहीं जा सकता क्योंकि शोर शराबे से अब दूर रहने कि उम्र जो हो चली है ! इस लिए मैं - और मेरा जाम, पिछले वर्ष का गम भुलाने के लिए क्या कम है , साथ में जब बेगम अख्तर की आवाज़ का जादू कानों में गूंजा रही हो ?

है न धरम पा जी जैसा - मैं - मेरा जाम - और वो ( अख्तरी बाई कि आवाज़ ) ? और क्या चाहिए भाई ! गुड बाई २०१३ !! लव यु २०१४ !!

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