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Saturday, February 7, 2015

Tribute to R K Laxman


Common Man:

मैं एक साधारण व्यक्ति हूँ
      आम आदमी हूँ , यही मेरी पहचान है !
पाँच दशकों पहले, मुझे पहली बार आप लोगों से मिलवाया गया!
अधेड़ सी उम्र, सिर पर ठीक बीच मे चाँद,
उसके नीचे, कानों तक , तीनों तरफ बिखरे बड़े बाल,
       चेहरे पर मोटी काली फ्रेम का चस्मा,
उनके पीछे, हमेशा कुतूहलवशकुछ खोजती सी आँखें,
शायद, चेरे पर, हूँ  और फैले निराशावाद मे, आशावाद ढूनडते भाव !
एक धूलि - अन धूलि कमीज़, उसपर एक चौकड़ी वाला कोट,
         नीचे धोती और पैरों मे चप्पल,
हाँ, यही पहचान लिए मैं आप के बीच आया !

और फिर मैं आप का ही बन कर रह गया !

शायद आप सब लोग भी मुझमे स्वयं को पाते होंगे,
इसीलिए  मैं आप का अपना बन पाया,
या फिर मेरे ब्रम्हा ने, मेरे रचनाकार ने, मेरे जीवनदाता ने,
आप सब की स्थिती देख ही मेरा लालन पालन इस प्रकार किया !
खैर जो भी हो, मेरी आप सब की खूब जमी ,
क्या दिन थे वे भी !!

मैं वही आस्चरय चकित भाव से,
    अपने आस पास की घटनाएँ निहारता ,
किसी कोने मे, या भीड़ मे पीछे कहीं छीपा सा खड़ा रहता
और मेरी विस्मयता और लाचारी देख आप मंद मंद मुस्काते थे !
       पाँच दशलों तक, वही अपनी दिनचर्या रही !
इस रोजमर्रा बदाल्ली मे भी, मुझे इस तरह देख कर,
 क्षण भर के लिए ही क्यों ना हो,
      आप के चेहरे पर एक हल्की सी हँसी आती थी,
यही मेरे जीवन दाता की शक्ति थी !
इस क्षण भंगूर जीववन मे , एक क्षण मात्र के लिए ही सही,
मेरे जीवन दाता आप लोगों मे खुशी बटोरते थे !
मैं तो सिर्फ़ एक माध्यम था, और रहूँगा भी !
हाँ यही मेरी सोच थी आज तक !

अचनाक,
मेरा जीवन दाता, अपने ही जीवन से झुँझ रहा था ,
अस्पताल मे उसके बिस्तर के पास, नर्स, डॉक्टर्स
बाहर रिश्तेदार, शुभ चिंतकों का ताँता ,
और वहीं गलियारे में, मैं भयभीत, और असमनजस भाव से सब को देखता खड़ा ,
उन सब के पीछे !



खैर आख़िर अनहोनी को कौन टाल सका है !
मेरा जीवन दाता नही रहा !

मैने रुमाल निकाल कर अपने आँसू पोंछे,
तभी किसी अदृश्य हाथ ने मेरे खनदे पर धीरज से थप थपाया
और कहा " Life must move on, Learn to Live alone  "
यह उनकी ही आवाज़ थी
.मैने भी उपर की तरफ देख कर, थोड़ा सा मुस्कुरा कर कहा
“ You Said It ”

2 comments:

Aadil said...

Kya baat hain!

Anonymous said...

Kya Bat Hai! aapke eis Shaily ki pahachan pahily bar ho rahi hai. Keep it going, I will love to read it few more lines from you here on wards. Thanks.