हमारे दो नौजवान शहीद होते हैं,
कुछ पाकिस्तानी सिरफिरे
एक जवान का सिर काटते हैं, और
तोहफे की तरह ले जाते हैं,
हम कुछ नहीं करते, या फिर
कुछ नहीं कर पाते हैं।
सरकार विरोध जता कर शांत होती है,
किसी का खून नहीं खोलता,
सहिष्णु जो हैं हम ! या हमारी सरकार ?
हमारे नेता कहते हैं " मेरा देश महान ! "
या फिर
कुछ कहते हैं " वन्दे मातरम !! "
वे लोग भी क्या करें?
आये दिन जगह जगह बलात्कार होते हैं ,
हम कुछ नहीं करते या फिर कर नहीं पाते ,
आये दिन जगह जगह माओवादी हमले कर
हमारे अपने जवानों की हत्या करते हैं,
हम कुछ नहीं करते या फिर कर नहीं पाते ,
कभी तो उनकी लाशों में बम्ब पिरोते हैं,
हम कुछ नहीं करते या फिर कर नहीं पाते ,
पर, हमारे नेता कहते हैं " मेरा देश महान ! "
या फिर
कुछ कहते हैं " वन्दे मातरम !! "
कहीं स्त्रीभूण हत्या होती है,
कहीं दहेज़ जान ले बैठता है,
कहीं दिन दहाड़े चोरी - डकैती होती है,
हम कुछ नहीं करते, या फिर कुछ नहीं कर पाते,
कहीं सड़कों पर दुर्घटनाओं से मौत,
कहीं समय पर चिकित्सा के अभाव से मौत,
कभी बेकारी से खुदकशी, तो कभी
भूक से आत्महत्या,
पर, हमारे नेता कहते हैं " मेरा देश महान ! "
या फिर
कुछ कहते हैं " वन्दे मातरम !! "
कभी अति वृष्ठी से तो कभी अना वृष्ठी से मौतें,
तो कभी भूकंप से मौतें,
यह काफी नहीं जैसे , इस लिए
कभी विदेशी हमलों में मौतें ,
पर, हमारे नेता कहते हैं " मेरा देश महान ! "
या फिर
कुछ कहते हैं " वन्दे मातरम !! "
कभी आतंकी हमलों से सीमाओं पर पस्त हम,
कभी देश के अन्दर आतंकियों से झून्जते हम,
हमारे देश में जीवन का कोई मूल्य नहीं है,
किसी को दुसरे की जान की कोई कीमत नहीं,
यह सब हो गुजरने पर ,
कुछ देर पटरी से उतरा लगता जीवन,
फिर सामान्य होता है, होने पर मजबूर होता है,
हमारे नेता लेकिन जीवन का मुल्यांकन करते हैं,
जीवन की पैसों से बोली लागतें हैं,
आर्थिक मदत या दान की घोषणाएँ करतें हैं,
और कहते हैं " मेरा देश महान ! "
या फिर
कुछ कहते हैं " वन्दे मातरम !! "
सच पूछा जाए तो यह जीवन का मूल्यांकन नहीं है,
मौत का मूल्यांकन है,
मुझे इन नेताओं से कोई उम्मीद नहीं है,
इन्हें तो उठा फैंकना होगा,
परिवर्तन लाना होगा,
समाज में , व्यवस्था में !!
मुझे उस दिन का इंतज़ार है, जब
अपना हर नागरिक इस देश के
मिट्टी की कीमत समझेगा,
अपने स्वार्थ से परे, देश की सोचेगा,
तभी,
हम और हमारा देश,
एक फिनिक्स - अमरपक्षी की तरह
जापान या जर्मनी की तरह
राख से फिर निर्माण करेगा
यह जरूर होगा , यह जरूर हो कर रहेगा !!
फिर, हम सभी एक बुलंद आवाज में कहेंगे -
" मेरा देश महान !! , वन्दे मातरम , वन्दे मातरम !!
कुछ पाकिस्तानी सिरफिरे
एक जवान का सिर काटते हैं, और
तोहफे की तरह ले जाते हैं,
हम कुछ नहीं करते, या फिर
कुछ नहीं कर पाते हैं।
सरकार विरोध जता कर शांत होती है,
किसी का खून नहीं खोलता,
सहिष्णु जो हैं हम ! या हमारी सरकार ?
हमारे नेता कहते हैं " मेरा देश महान ! "
या फिर
कुछ कहते हैं " वन्दे मातरम !! "
वे लोग भी क्या करें?
आये दिन जगह जगह बलात्कार होते हैं ,
हम कुछ नहीं करते या फिर कर नहीं पाते ,
आये दिन जगह जगह माओवादी हमले कर
हमारे अपने जवानों की हत्या करते हैं,
हम कुछ नहीं करते या फिर कर नहीं पाते ,
कभी तो उनकी लाशों में बम्ब पिरोते हैं,
हम कुछ नहीं करते या फिर कर नहीं पाते ,
पर, हमारे नेता कहते हैं " मेरा देश महान ! "
या फिर
कुछ कहते हैं " वन्दे मातरम !! "
कहीं स्त्रीभूण हत्या होती है,
कहीं दहेज़ जान ले बैठता है,
कहीं दिन दहाड़े चोरी - डकैती होती है,
हम कुछ नहीं करते, या फिर कुछ नहीं कर पाते,
कहीं सड़कों पर दुर्घटनाओं से मौत,
कहीं समय पर चिकित्सा के अभाव से मौत,
कभी बेकारी से खुदकशी, तो कभी
भूक से आत्महत्या,
पर, हमारे नेता कहते हैं " मेरा देश महान ! "
या फिर
कुछ कहते हैं " वन्दे मातरम !! "
कभी अति वृष्ठी से तो कभी अना वृष्ठी से मौतें,
तो कभी भूकंप से मौतें,
यह काफी नहीं जैसे , इस लिए
कभी विदेशी हमलों में मौतें ,
पर, हमारे नेता कहते हैं " मेरा देश महान ! "
या फिर
कुछ कहते हैं " वन्दे मातरम !! "
कभी आतंकी हमलों से सीमाओं पर पस्त हम,
कभी देश के अन्दर आतंकियों से झून्जते हम,
हमारे देश में जीवन का कोई मूल्य नहीं है,
किसी को दुसरे की जान की कोई कीमत नहीं,
यह सब हो गुजरने पर ,
कुछ देर पटरी से उतरा लगता जीवन,
फिर सामान्य होता है, होने पर मजबूर होता है,
हमारे नेता लेकिन जीवन का मुल्यांकन करते हैं,
जीवन की पैसों से बोली लागतें हैं,
आर्थिक मदत या दान की घोषणाएँ करतें हैं,
और कहते हैं " मेरा देश महान ! "
या फिर
कुछ कहते हैं " वन्दे मातरम !! "
सच पूछा जाए तो यह जीवन का मूल्यांकन नहीं है,
मौत का मूल्यांकन है,
मुझे इन नेताओं से कोई उम्मीद नहीं है,
इन्हें तो उठा फैंकना होगा,
परिवर्तन लाना होगा,
समाज में , व्यवस्था में !!
मुझे उस दिन का इंतज़ार है, जब
अपना हर नागरिक इस देश के
मिट्टी की कीमत समझेगा,
अपने स्वार्थ से परे, देश की सोचेगा,
तभी,
हम और हमारा देश,
एक फिनिक्स - अमरपक्षी की तरह
जापान या जर्मनी की तरह
राख से फिर निर्माण करेगा
यह जरूर होगा , यह जरूर हो कर रहेगा !!
फिर, हम सभी एक बुलंद आवाज में कहेंगे -
" मेरा देश महान !! , वन्दे मातरम , वन्दे मातरम !!
1 comment:
Etta Boy!
Job well done in listing the salient points of the prevailing conditions related to our surroundings.
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