Born Free

Born Free
Live Life Your Way

Followers

Saturday, December 22, 2012

अनामिका

कुछ वहशी लोगों ने , समाज के कलंकों ने ,
                उस लाचार अबला को
अपनी हवस का शिकार बनाया ,
                 और कुछ ही क्षणों  में ,
वह अपनी पहचान खो बैठी !

कल तक,
उसकी अपनी एक दुनिया थी,
               मन में स्वप्नों के राजहंस
               चिल - बिल करते थे , चहकते थे ,
उज्वल भविष्य की आस थी , उसे भी ,
              अपने ढंग से जीने की लालसा थी , उसकी ,
और अब ,
              एक ही वार में मानो , वह
इन सब से कट सी गयी,
             अपना अस्तित्व ही खो बैठी मानो !

अभी वह अपनी मौत से झुंज़ रही है ,
             कहती है ,
             " मॉम , मैं जीना चाहती हूँ " !

शायद वह इस प्रयास में सफल हो भी जाए
            सब की प्राथनाएं भी यही हैं ,
उम्मीद भी है सभी को , उसे भी !
           उसकी जीवन रेखा शायद लम्बी भी हो ,
पर,
भविष्य की बाकी रेखाएं मानो
           अभी तो आकर सिमट सी गयी  हैं ,
धूमिल सी हो गयी हैं, मिट सी गयी हैं !

डर तो यह है कि , अब
           पल - पल जिंदगी भर शायद
वह इस हादसे को अपने
           दिलो - दिमाग से निकाल न पाएगी !

क्या होगा उसका उर्वरित जीवन?
क्या वह फिर मुस्कुराएगी ? खिलखिलाएगी ?
क्या होंगे उसके नए सामजिक समीकरण ?
कौन उसे इस पीड़ा से मुक्ति दिलाएगा ?
क्या कोई उसे निष्कलंकित मान अपनाएगा ?


या फिर,

वह रहेगी , जियेगी एक  - अनामिका  !!

1 comment:

Chandu said...

Thought provoking