Born Free

Born Free
Live Life Your Way

Followers

Thursday, September 11, 2008

मेरी डायरी से - कोसी का कहर

सालों पहले ऐसा ही कुछ मोरवी , गुजरात में हुआ था। मैंने उस समय इस पर कविता के रूप में अपने विचार व्यक्त किए थे। तब से आज तक इतिहास दुहराया ही जा रहा है। गर्मियों में सूखे से राज्यों में तबाही मचती है, और बारिश के दिनों में बाढ़ से आई विपदाएं गाँव के गाँव उजाड़ देती हैं। सरकारें बदली, मगर अपनी सोच नही बदली। उनके और अपने थाट और रवैया ज्यों का त्यों ही है। एक दुसरे पर दोषारोपण होते हैं, हर विपक्षी नेता सरकारी मुलाजिमों के तबादले करने , या हटाने की मांग करते हैं, मंत्रियों के इस्तीफे की मांग करते हैं, मुख्य मंत्री या हद हुई तो प्रधान मंत्री के इस्तीफे की मांग करने से नही चूकते। और दूसरी और सत्ताधारी विपक्ष के कार्य काल ( जब वे सत्ता में थे ) की गलतियों को या उनकी नीतियों को दोषी ठहराते हैं। कब तक हम वास्तविकता से भागते रहेंगे, कब सरकारें और सरकारी मुलाजिम संवेदनशीलता का परिचय देंगे ? आम आदमी भी बेवखूफ़ के बेवखूफ़ ही रहे। हर चुनाव में कुछ रपये पैसों का लालच, कुछ दिखावे के लिए योजनाओं की घोषणा, कुछ रोजगार योजनाओं की घोषणा , सस्ते दामों में कुछ दाल चावल देने की घोषणा इत्यादि काफ़ी होती हैं। गाँव के गाँव, जमात की जमात भेड़ बकरियों जैसे एक के पीछे एक , किसी एक पार्टी या जमात के व्यक्ति को वोट देते हैं। चुनाव ख़त्म होते ही आम आदमी वहीं का वहीं रह जाता है। क्यों नही वह भी बदलाव के लिए विद्रोह की आवाज़ उठाता ?? बिहार में आई विपदा एक राष्ट्रीय संकट है। कोसी ने अपना पात्र करीब १०० किलोमीटर से बदला और बिहार भर में तबाही मचा दी। करीब २५ लाख लोगों ने अपना सब कुछ खो दिया। आज तक करीब १००० लोगों ने अपने प्राण खोये हैं। लोग अपने परिवारों से बिछड़ गए हैं। पुनर्वसन का अता - पता नही है। २ हफ्तों से लोग भूके हैं। सहायता नाम मात्र की पहुंचाई जा रही है। आने वाले दिनों में औषधियों और डॉक्टरों की बहुत जरूरत होगी। सरकारी व्यवस्था इस पर क्या विचार कर रही है इसका किसी को इल्म नही है, और गम भी नही है। कब तक हम सब इस स्थिति से मुह मोड़ कर , हाथ पर हाथ डाले बैठे रहेंगे ? कब स्तिथि सामान्य होगी इसका किसी को अंदाज़ नही है। मुझे कभी कभी ख़ुद को अपने भारतीयत्व पर शर्म आती है।

No comments: