अमरीका और भारत ने जोर लगाया, दबाव डाला ,
१२३ संधि सुर्खियों में रहा, मीडिया ने सब के दिलों - दिमाग में घुसपेठ की,
अणु करार हुआ, तो मीडिया हताश हुआ, फिर आगे क्या ? मीडिया सोचने पर मजबूर हुआ।
कोसी ने कहर ढाया, मीडिया कुछ दिन गर्म रहा , उजडे गाँव ,
मृत्यु का तांडव, भूक और भय से लाचार लोगों के चेहरे, क्या कुछ नही मिला मीडिया को, अमरनाथ का किस्सा गरमाया , सब की राजनीति चली ,मीडिया की चांदी हुई फिर आगे क्या ? मीडिया सोचने पर मजबूर हुआ।
सिंगुर में घपला हुआ, बुध्हदेव और ममता भिडे, राज्यपाल गांधीजी ने गांधीगिरी आजमाई, मीडिया ने इसे भुना, फिर आगे क्या ? मीडिया सोचने पर मजबूर हुआ।
मुंबई में भाषा का विवाद छिडा, म न से ने राजनीती खेली,
शिव सेना के बाघ ने भी अपने पंजों के नाखून तेज किए,
सरकारी बयानों के बाण छूटे , मामला कुछ ठंडा हुआ ही था कि,
जया जी ने आग में घी उडेला। बिग बी ने माफी मांगी,
छोटे और बड़े बी ने राज को अपनी दोस्ती याद दिलाई ,मामला सुलझा ।
फिर आगे क्या ? मीडिया सोचने पर मजबूर हुआ।
तभी फिर आतंकवादियों ने दिल्ली पर हमला बोला, मीडिया ने मीटर डाउन किया
मीडिया ने कहा - गणतंत्र पर गाज गिरी, सी बी आई , गृह मंत्री, पुलिस
सब मीडिया के घेरे में आए, मंत्री जी के तीन तीन लिबासों को सब चेनलों ने उछाला
अभी मीडिया का मीटर डाउन ही है। पर फिर कुछ दिनों में
फिर आगे क्या ? मीडिया सोचने पर मजबूर होगा ??
नहीं , क्योंकि
बीच बीच में आरुशी हत्या काण्ड , सोमाली में जहाज अपहरण
हेलिकोप्टर का गायब होना, ओबामा - मकैन का चुनावी जंग ,
प्रचंदा की भारत यात्रा, पाकिस्तानी घुसपैंठ , जरदारी का चुनाव ,
लेहमन का दिवालिया होना, ऐ ई जी, मोर्गन स्टानले इत्यादि कम्पनियों की
ख़बरों से बाज़ार में उतार चढाव होना, और इन जैसी
सनसनीखेज ख़बरों से वातावरण गर्म ही रहेगा ।
और कुछ न हुआ तो कोई प्रिंस किसी बोर वेल या खड्डे में गिरेगा
और फिर लोगों की प्रार्थनाओं का सिर्फ़ प्रिंस पर ही नही,
तुम पर भी असर होगा।
इसी लिए चाहे कितने चॅनल क्यों न खुले, २४ इन टू ७ अविरत क्यों न बड बड करें ,
भाई मीडिया वालों तुम्हारी दूकान तो हमेशा चलेगी ,
तुम्हारा कभी भी मीटर ऊपर नही होगा, हमेशा डाउन ही रहेगा । ।
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