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Saturday, August 30, 2008
बिन्दु बिन्दु विचार - कस्टमर केयर
Tuesday, August 26, 2008
जरा सोचिये
काश्मीर जल रहा है
काश्मीर के पंडित बेघर हो गए हैं,
और अब वहां या तो सिर्फ़ मुस्लिम समुदाय बसा है,
या फिर बी एस ऍफ़ और भारतीय सेना के जवान गश्त लगातें हैं।
आए दिन " पाक गुसपैठ " की खबरें सुर्खियों में छायी रहती हैं,
मोर्चे, दहन - जलन आम जीवन का हिस्सा बन गयीं हैं,
आतंकवादी खुले आम तहलका मचाते हैं,
और
फिर भी सरकारें ( राज्य व केन्द्र ) सोती रहती हैं ...
भारतीय जवान दिन बा दिन शहीद होते हैं,
बी एस ऍफ़ के जवानों का भी यही हश्र है,
आम जनता बेहाल है,
साधारण नागरिक फिर वह किसी जाती का हो, किसी पंथ का हो,
कत्ल एक आम सी बात है,
रोज इसकी चर्चा करते मीडिया थकती नही है,
फिर भी सरकारें सोती रहती हैं...
पिछले कुछ दिनों से " अमरनाथ " सुर्खियों में है,
पहले शिवलिंग पिघलने की ख़बरों से,
और अब जमीन हस्थाकरण के विवादों से,
सरकार ने चुप्पी साधी ,
और बात का बतंगड़ बनते देर नही लगी,
अब इस समस्या ने एक विकराल और वीभत्स रूप धारण कर लिया है।
रोज़ आगजनी की खबरें आती हैं, आम लोगों की जानें जाती हैं,
संपत्ति लुट जाती है, या जला दी जाती है,
फिर भी सरकारें सोती रहती हैं...
काश्मीर में अब पाकिस्तानी झंडे दिखना कोई नयी बात नही है,
भारत हाय हाय के नारे भी नए नही रहे,
मुसलमानों की जनमत की मांगें नई नही रही,
उनका पाकिस्तान से लगाव भी नई बात नही रही,
बेघर पंडितों की आवाजें कोई मायिने नही रखती, ये भी कोई नई बात नही है,
और
फिर भी सरकारें सोती रहती हैं...
कल तक के धरती के स्वर्ग पर-
आज मौत का तांडव है, आतंकवाद का खौफ है,
हिंदू - मुस्लिमों के झगडे हैं, सेना की गश्त है,
बस्तियों में आगजनी है, सड़कों पर मोर्चे हैं, मार काट है,
सब तरफ़ बर्बादी के दृश्य हैं,
कल तक का स्वर्ग आज आग की लपटों में लिप्त है, कोई नई बात नही है।
और
फिर भी सरकारें सोती रहती हैं...
इस किसी समस्या का संतुष्ठिकरण सरकारों के अजंडे पर नही है।
कहते हैं - सोये हुए को जगाया जा सकता है,
पर जो जाग कर भी सोये रहने का ढोंग करे , उसका क्या कर सकते हैं॥
अब तो दोनों सरकारों का अजेंडा रहता है - कुर्सी संभालो, चुनाव जीतो।
अब वे यह नही कहते " जीओ और जीने दो "
कहते हैं " जीओ और जलने दो "॥
इस अंधेरे मय भविष्य के दुसरे छोर पर मुझे
आशा की कोई किरण नज़र नही आती,
पर ॥
सुनायी देती है, इस अँधेरी गुफा रूपी जीवन में फंसे ,
काश्मीरी पंडितों की पीडित चीख -
मेरा भी काश्मीर था, मेरा भी काश्मीर है,
क्या मैं कभी मेरे वतन जा पाउँगा ??
हाय मेरा काश्मीर जल रहा है,
काशीर जल रहा है ॥
कश्मीर जल रहा है॥