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Saturday, August 30, 2008

बिन्दु बिन्दु विचार - कस्टमर केयर

बारीश का मौसम , हवा में एक अलग सी खुमारी, मौसम में मदहोशी का आलम, हर मनचले का दिल फिसले ऐसा वातावरण, भला , किसे पागल नही बनाते ?? लोनावला की धुंद - सर्द और मस्तानी शाम, शांत - एकांत मदहोश रात की गोद में सोया सा एक निजी महल, शराब, शवाब, और हुस्न का रंगीला खिलवाड़, भला , किसे पागल नही बनाते ?? ऐसा ऐशो - आराम , तरह - तरह के व्यंजन, मनोरंजन के सभी साधन, ब्लू - फ़िल्म का आयोजन, बार - बालाओं के अर्ध - नग्न नृत्य, हवस पुरी करने के सभी उपाय , भला , किसे पागल नही बनाते ?? फिर , वे तो साधारण से कस्टम अधिकारी थे ॥ यह आयोजन कस्टमर केयर था या, कस्टम अधिकारीयों की केयर का प्रकार था ?? वैसे देखा जाए तो दोनों में कोई ज्यादा फरक नही है। गांधीजी ने कहा था " ग्राहक आपके भगवान् हैं, उनका ध्यान दीजिये। " ध्यान मतलब आव - भगत । इस आधार पर, कस्टम अधिकारी भी उन आयोजकों के ग्राहक होने के नाते, भगवान् ही हुए, यही सोच कर उन आयोजकों ने , अपने भगवानों की आव - भगत में कोई कसर नही छोड़ी॥ अपने ग्राहकों की ऎसी देख - भाल , ऐसी आव - भगत का, यह एक नया ही रूप देखा॥ मेरा देश महान ॥ वंदे मातरम ।।

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