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Wednesday, July 9, 2008

नो क्लिएर डील या न्यू क्लिएर डील

पिछले साल भर से एक विषय बड़े विवाद की वजह बना हुआ है " न्यू क्लीअर डील "। सत्ता पक्ष इसकी तारीफ़ करते नही थकते और लेफ्ट व बी जे पी जैसे दलों को यह डील फूटी कौडी नही भाता । वे इसे चुनावी मुद्दा बनाने पर तुले हैं । और क्यों नहीं, कुर्सी किसे नहीं प्यारी ? वे कहते हैं इस डील का मतलब है अमरीका के हातों बिकना , हमारी आजादी खतरे में डालना । वे यह भी कहते नहीं थकते कि उन्हें और देश कि जनता को अंधेरे में रखा जा रहा है । वे मीडिया पर आ कर चिल्लाते हैं " देश कि जनता जानना चाहती है कि ऐसा क्या है जो हम इस डील के पीछे हात धो कर पड़े हैं। जनता रोटी , कपड़ा , मकान जैसी समस्याओं का पहले हल चाहती है । जनता चाहती है - महंगाई पर काबू पाओ और फिर कुछ सोचो । " वे शायद सोचते हैं कि जनता बेवखूफ़ है और नहीं जानती कि इन सब के पीछे छुपी उनकी कुर्सी की प्यास उन्हें यह सब बुलवाती है। ऐसा कुछ भी नहीं है, पर गणतंत्र में जनता के हातों वोट के सिवा कुछ भी नहीं है। इस लिए वो भी चुनावों का ही इंतज़ार करती है। पर राजनीतिज्ञों को भी उनकी जेबें मजबूर यह कहने पर मज़बूर करती हैं कि जनता अभी चुनाव नहीं चाहती । असल में चुनाव हों या नहीं टैक्स हर साल बढ़ता ही है, महंगाई हर साल बढती ही है। तो जनता क्यों नहीं चाहेगी रद्दी लोगों को हटाना। खैर, असली मुद्दा डील का है। इस विवाद में वैज्ञानिकों कि भी राय बाती हुई है । डील का किसी को अता - पता नहीं है । बाकी कल ... क्रमश

2 comments:

Unknown said...

Namaste sab,

This is Pulla Reddy.iam proud to see you in differnt phases.i could understand up to major extend even its in Hindi.
you are absolutely correct in view of nuclear deal.

pl keep posting your paintings also, by NANADU KAKA.
With Regards,

Pulla Reddy

अभिव्यक्ती said...

thanks dear. Please read my poem in hindi on generation next. I have also posted a page from my diary. this is in english. hope you would enjoy it