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Saturday, July 19, 2008

यह कैसा गणतंत्र है हमारा ??

यह कैसा गणतंत्र है हमारा ?? चुनाव होते हैं , शाम, दाम, दंड और भेद के माप दंड पर ही हार जीत का फ़ैसला होता है। व्यक्ति की शिक्षा, उसकी विचार क्षमता, उसकी विचार धारा उसे नेता नही बनाती, मगर उसकी जाती , उसका धर्म, उसका बाहूबल या उसकी तिजोरी ( हिज मसल पावर ओर हिज़ मनी पावर ) उसे नेता बनाती है या फ़िर यूँ कहें बनवाती है। नेता वह नही है जो जनता को राह दिखाए पर वोह है जो उसे गुमराह करे। पक्ष, विचार धारा या कुछ मूल तत्त्व नही बनाते उसे एक नेता । बाहूबल या मुद्रा बल काफी हैं नेतागिरी के लिए। थोडी दहशत और पैसा बहाने की क्षमता हो तो वोह व्यक्ति कम से कम एक दलीय नेता तो बना ही सकती है। हर व्यक्ति जो यह कर सकता है और एक गुट खड़ा कर सकता है वाही नेता बन सकता है। यह कैसा गणतंत्र है हमारा ?? वैसे देखा जाए तो ऐसे छुट पुट दलों का या निर्दलीय नेताओं का महत्व तब बढ़ता है जब मिली जुली सरकारें संकट में आती हैं। तब बाज़ार में जैसे , जो चीज़ आम तौर पर नज़र नही आती तो उसकी कीमत उतनी बढती है , वैसे ही इनकी कीमत आंकना मुश्कील हो जाता है। फ़िर तो सप्लाई और डिमांड वाली हालत हो जाती है। ऐसे हर नेता की बेचवाल शक्ती असल में उसकी इच्छा शक्ति पर ही निर्भर करती है। और इस पर भी की उसके कितने आदमी हैं। क्योंकि ऐसे समय में गणतंत्र बन जाता है सिर्फ़ एक आंकडो का तंत्र, क्योंकि विश्वास मत गणना में आंकडे ही होते हैं मंत्र। यह कैसा गणतंत्र है हमारा ?? असल में तो सविंधान में हर पाँच वर्षों में चुनाव निर्धारित हैं, पर अब यह सब इतिहास की सुर्खियाँ मात्र बन कर रह गयी हैं। अब तो एक एक साल बाद ही सरकारें अपनी उपलब्धियां गिनाते नही थकती। क्योंकि अब अनिश्तिओं का जमाना है। किसे मालूम कल क्या होगा। हो सकता है कल फ़िर चुनावी मैदान में उतरना पड़े। और किसे मालूम की कल फ़िर जीत हो की नही। इसीलिए जितना समय मिले उसमे जितनी तिजोरी भर सको , भरो। कोशिश करो की पहली लागत से ज्यादा कमाई हो। तभी आने वाले चुनाव में लड़ने की ताकत जुटा पाएंगे ना ? यही गणीत , यही आंकडे उन्हें ऐसे समय अपनी बोली लगाने का मौका देती हैं। राष्ट्र हित की ऎसी की तैसी। फ़िर तो नेता यह सवाल अपने आप से नही करते की स्वयं देश के लिए क्या कर सकते हैं , पर यह सोचतें हैं की वे ऐसे समय कितना कमा सकते हैं। ऐसे अवसरवादियों की अब देश में कमी नही है। यह कैसा गणतंत्र है हमारा ?? क्रमश॥ कल फ़िर थोड़े और विचार इसी मुद्दे पर और आज की ज्वलंत समस्या पर - आने वाली २२ जुलाइको होने वाले विस्वास मत पर।

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