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Monday, July 7, 2008

जरा सोचिये

तेल के दाम बढे,

मुद्रा उचांक ( इन्फ्लेशन ) दिन ब दिन नई ऊचाईयां छूता है ,

खाने पीने की वस्तुएं महँगी हो रही हैं ,

कारें महँगी हो गई हैं , कपडे महंगे हो गए हैं,

स्कूलों की फीस बढ़ गई है , अनुदान बढ़ गए हैं

पर तनख्वाह उस अनुपात में बढती नही है ,

फिर भी सभी कहते हैं " इंडिया इज शायनिंग "

शेयर मार्केट रोज़ नई निचायिओं को छू रहा है ,

कहते हैं फॉरेन इनवेस्टमेंट बढ़ रहा है ,

शहरों में सडकों की हालत खस्ता है ,

हर बारीश में बाढ़ आती है, बम्बई जैसे शहर नौका विहार के स्क्षेत्र बनते हैं,

फिर भी हर वर्ष सूखे की स्थिति पैदा होती है ,

सरकार सिर्फ़ वादे करती है , कुछ होता नही है

चुनाव के पहले राजनैतिक रोटी , कपडा और मकान के वादे करते थक्त्ते नही है

और चुनाव के बाद सुब कुछ भूल कर अपनी दुकान चलाते हैं

सत्ता पक्ष और विपक्ष , दिन में एक दुसरे के बाल नोचते हैं ,

और शाम को साथ बैठ कर दारू पीते हैं , और जनता की बेव्खूफी पर हसते हैं ,

फिर भी सभी कहते हैं " इंडिया इज शायनिंग "

भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, शीस्त्ताचार कम हो रहा है ,

सहिष्णुता का नामोनिशान नही है

हम एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं ,

हम अपने पड़ोसी को तक नही जानते , दोस्ती क्या होती है नही पहचानते

हम जाती पाती से कट गए है , धर्मं ने दीवारें पैदा कर दी है ,

यह सब राजनीतिज्ञों का खेला है , हम लोगों कों बीच में डाला है ,

फिर भी सभी कहते हैं " इंडिया इज शायनिंग "

1 comment:

केपी आर said...

क्षणाचाही विलंब न लावता सुरळीत होणाऱ्या कालचक्राला सलाम.

खरतर असं असूनही ईण्डीया इज शायनिंग म्हणणाऱ्या सर्वांना सलाम